गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग के शुरुवाती लक्षण, इसकी रोकथाम के उपाय 

हमारे देश में किसानों के द्वारा रबी के सीजन में गेहूं की बुवाई हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश इस राज्यों में सबसे अधिक मात्रा में किया जाता है। इन राज्यों में गेहूं को व्यावसायिक उद्देश्य के चलते ज्यादा अधिक मात्रा में बोया जाता है। और गेहूं की पैदावार के लिए यह क्षेत्र काफी अच्छा है।

 

और इसी को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय और किसी विभाग के द्वारा किसानों को अपनी फसल में कम खर्चे में ज्यादा उत्पादन प्राप्त हो इसके लिए अच्छी किस्म का विकसित किया जाता है। बता दें कि इस बार गेहूं की फसल में मौसम में सूर्य काफी दिनों से धूप नहीं निकल पाई है। ऐसे में गेहूं की फसल में पीलापन भी देखने को मिल रहा है।

 

 

गेहूं की फसल में आए इस पीलापन के चलते किसान यह सोच रहे हैं। कि यह पीला रतुआ रोग (Yellow rust ) होता। लेकिन भारतीय गेहूं एवं जो अनुसंधान संस्थान करनाल के द्वारा फसल में आने वाले पीला रतुआ की रोकथाम के लिए किसानों को क्या-क्या उपाय करने चाहिए और इसकी पहचान कैसे की जा सकती है। पूरी जानकारी दी है आप अंत तक जरूर जुड़े रहें।

 

 

पीला रतुआ रोग से फसल का समय-समय पर निरीक्षण करते रहें

 

 

 

देश के उत्तरी भाग के राज्यों के अलावा भी अधिकतर राज्य में अबकी बार कड़ाके की ठंड और इसके साथ दिनभर कोहरे और शीतलहर का प्रभाव देखने को मिला है। जिसके चलते बहुत सी जगह पर तो अबकी बार पिछले 20 दिनों से थोड़ा बहुत ही सूर्य के दर्शन हो पाए हैं। ऐसे में गेहूं की फसल पीलापन देखने को मिल रहा है।

 

 

गेहूं की फसल में अबकी बार थोड़ा पीलापन अधिक है। जिसके चलते किसान काफी चिंतित हैं। ऐसे में किसानों की इस चिंता को देखते हुए भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के कृषि वैज्ञानिक ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी किया गया है। वर्तमान समय में पीला रतुआ रोग होने की कोई संकेत नहीं मिलने की बारे में बताया गया है। वही साथ ही यह भी बताया गया कि अभी जैसे ही मौसम में परिवर्तन होने के प्रभाव के चलते कुछ जगहों पर गेहूं की फसल में पत्तियां में पीलापन आ गया है।

 

ऐसे में किसानों को अपनी फसल में समय पर देखभाल करते रहना और उसकी निगरानी करते रहने की सलाह दी गई है। और साथ में किसान अपनी फसल में यह देखें कि पीला रतुआ रोग से ग्रसित है या नहीं। और साथ ही बीते कई दिनों से चल रही कड़ाके की ठंड के चलते गेहूं में जो अब पीलापन आ चुका है। वह धीरे-धीरे ही अपने आप जैसे ही सूर्य की तपत होगी सही होना आरंभ हो जाएगा।

 

 

 

 

 

 

गेहूं में पीला रतुआ कब आने की संभावना रहती है 

 

 

 

बता दे की कृषि विशेषज्ञों की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग का प्रभाव देखने को नहीं मिला है। लेकिन गेहूं की फसल में जैसे-जैसे समय आगे बढ़ेगा इस रोग से फसल में आने के आसार हो सकते हैं । बता दें कि पीला रतुआ होने के चलते गेहूं की पैदावार में काफी ज्यादा असर देखने को मिलता है।

 

किसानों की जानकारी के लिए बता दें कि पीला रतुआ का ज्यादा आने की संभावना इसी महीने यानी जनवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर फरवरी महीने के पहले 15 दिन तक आने की ज्यादा संभावना रहता है। इस दौरान किसानों को अपनी फसल में समय-समय पर निगरानी करते रहना चाहिए। कि आपकी फसल में पीला रतुआ का रोग लगने से फसल को उत्पादन प्रभावित न हो। और अगर आपके खेत में यह लग जाता है। तो जैसे ही हवा का रुख होगा उसे तरफ यह रोग जल्दी से प्रभावित करता है।

ऐसे में किसानों को पीला रतुआ रोग के लक्षण को देखकर पहचानना चाहिए, कि आपकी फसल इस रोग से बचाव है या नहीं।

 

 

गेहूं की फसल में पीला रतुआ  के क्या क्या लक्षण दिखाई देगे

 

 

किसानों को गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग के लक्षण देखने में कैसा दिखाई देगा इसके लिए भारतीय गेहूं और जो अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने जानकारी देते हुए बताया कि फसल में यह रोग जनवरी महीने के अंतिम दिनों से शुरू होने के आसार बहुत ज्यादा होते हैं। ऐसे में किसानों को इन दिनों अपनी फसल में बहुत ही ज्यादा सतर्कता के साथ देखभाल करना होगा।

 

ऐसे में अगर किसानों को अपनी फसल में पीला रतुआ रोग दिखाई दे तो इस समय इसका प्रबंध करना चाहिए बता दें कि इस पीला रतुआ के लक्षण गेहूं की फसल में शुरुआती दौर में पत्तियों में एक समान पीले और नारंगी धब्बे एक लाइन में देखने को मिलते हैं। ऐसा देखने पर किसानों को यह अनुमान लगाना चाहिए कि आपकी फसल में इस रोग की शुरुआत हो चुकी है। और यह रोग जैसे-जैसे अधिक होगा तो धब्बे पीले रंग का आकर लेकर हल्दी जैसा पाउडर बनने लगता है। जिसके चलते आखिर में फसल में पत्तियां काली पड़ने लगती है।

 

 

लक्षण दिखाई देने पर रोकथाम के लिए दवा और कीटनाशक का उपयोग 

 

 

किसानों को अपनी फसल में पीला रतुआ के लक्षण दिखाई देने पर कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा दो तरह की कीटनाशक और दवा का छिड़काव के बारे में बताया गया है। इसका छिड़काव करने से किसानों को इस रोग से राहत मिलेगी।

 

 

किसानों को अपनी फसल में यूरिया 5 किलो ग्राम, जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट 700 ग्राम जो 33% में आता है। उसका उपयोग 200 लीटर पानी में छिड़काव करें या इसके अलावा इसके जगह पर किसान 2 किलोग्राम एमपी के 200 लीटर पानी में छिड़काव कर सकते हैं।

 

 

किसान साथियों गेहूं की फसल में पीला रतुआ होने पर किसानों को इसको नियंत्रित करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा प्रति एकड़ में ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी 0.06% व टेबुकोनाजोल 50% और  प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी 0.1 % का उपयोग 200 लीटर पानी में फसल पर करें।

 

 

नोट: बता दे की कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा साथ ही यह जानकारी दी गई कि आखिर इस दवा का इस्तेमाल किसानों को जनवरी और 15 फरवरी तक की करें और अगर मौसम साफ हो तभी इस का गेहूं के फसल में छिड़काव ना करें। ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए आप अपने किसी भी नजदीकी कृषि वैज्ञानिकों या विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

 

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