किसानों को मिलेगा मेंथा की खेती से बंपर उत्पादन, जानें कैसे करें रोग और किट की रोकथाम

किसानों को मेंथा की खेती से अधिक उत्पादन के लिए, Mentha Cultivation में रोग और किट की रोकथाम कैसे करें आइए जानते हैं पूरी जानकारी …..

 

 

Saral News: रबी फसल की कटाई का कार्य अब समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में किसानों को अब नई फसल खेतों में लगाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। ऐसे में किसानों को उन्नत बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए और इसके साथ-साथ अगर आप मेंथा की खेती करते हैं। तो आपको इसमें कौन-कौन से किट और रोग लगते हैं। उसकी रोकथाम कैसे करना है। इसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल के द्वारा कृषि एक्सपर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, पूरी जानकारी प्रदान करेंगे। आप इस रिपोर्ट को अंत तक पढ़े। ताकि आपको मेंथा की खेती में लगने वाले रोगों को बचाव करने में आसानी होगी और उत्पादन अच्छा मिलेगा।

 

 

 

Mentha Cultivation | आप की जानकारी के लिए बता दें कि मेंथा की खेती मैं अधिक पैदावार लेने के लिए किन-किन किट रोगों से फसल को बचाना है इसके बारे में खेती के बारे में बीते 15 साल से अनुभव रखने वाले उत्तर प्रदेश के रायबरेली के खुशहाली कृषि संस्थान से पूर्व प्रबंधक अनूप शंकर मिश्रा जानकारी देते हुए बताया कि मेंथा की खेती के दौरान पत्ती लपेटक कीट, बालदार सुंडी कीट ,जड़ गलन, दीमक, पर्णदाग जैसे रोग व किट लगने की अधिक संभावना रहती है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल में समय समय पर देखभाल और कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करना चाहिए।

 

 

 

रोग व किट की रोकथाम के उपाय (Mentha Cultivation)

 

 

मेंथा की खेती में पत्ती लपेटक कीट, बालदार सुंडी कीट ,जड़ गलन, दीमक, पर्णदाग जैसे रोग व किट की रोकथाम कैसे करें जानें पूरी जानकारी ….

 

 

 

 

 

 

दीमक

 

 

किसानों को मेंथा की खेती करते समय दीमक लगने से होने वाले नुकसान से बचाव के लिए समय पर सही उपाय करना होगा। नहीं तो दीमक के चलते पौधे सूखने लग सकता है। मेंथा की फसल में दीमक की रोकथाम में प्रति हेक्टेयर ढाई लीटर क्लोरपाइरीफॉस का छिड़काव करने पर लाभ मिलेगा।

 

 

 

 

 

बालदार सुंडी कीट

 

 

मेंथा की खेती में बालदार सुंडी कीट का प्रकोप भी देखने को मिलता है। यह किट फसल में पौधों के पतियों के रस को चूसती है। जिसके चलते फ़सल में तेल की मात्रा घटने लगती है। जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान होता है। और इसको समय पर बचाव करना बेहद जरूरी हो जाता है। ऐसे में किसानों को प्रति हेक्टेयर 700 से 800 लीटर पानी में 500 ml डाईक्लोरवास दवा का छिड़काव अपनी Mentha Cultivation फसल पर करना चाहिए।

 

 

 

पत्ती लपेटक कीट

 

मेथा की फसल में किसानों को पत्ती लपेटक कीट का प्रकोप भी देखने को मिलता है इसकी रोकथाम करने के लिए किसान अपनी फसल में 350 से लेकर 400 लीटर पानी में 120 से 130 ml दवा कोराजेन का छिड़काव कर सकते हैं।

 

 

 

पर्णदाग

 

 

मेंथा फसल में पर्णदाग की रोकथाम करने के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 800 से लेकर 1000 लीटर पानी की मात्रा में 2 किलोग्राम मैंकोजेब 75% डबल्यूपी का उपयोग किया जा सकता है

 

 

 

जड़ गलन

 

किसानों को मेंथा फसल में जड़ गलन रोग की रोकथाम के लिए जब फसल की रोपाई का कार्य करते हैं उसी समय पर पौधों को 10 से 15 मिनट तक 0. 1% कार्बेंडाजिम के बनाए घोल में डुबोकर खेत में लगाना चाहिए।

 

 

मेंथा फसल में खरपतवार नियंत्रण

 

Mentha Cultivation | किसानों को मेंथा की फसल में खरपतवार नियंत्रण बेहद जरूरी होता है। इसके लिए जब फसल की रोपाई का कार्य होने के करीब 15 से 20 दिन के समय के बाद और दूसरी गुड़ाई 45 दिन में करना चाहिए। ताकि फसल में ज्यादा खरपतवार पैदा ना हो अगर आपकी जमीन में ज्यादा खरपतवार होता है तो आप पौधों की रोपाई करने के 2 से 3 दिन के बाद 500 से लेकर 700 लीटर पानी में पेंडामेथेलिन 3.3 लीटर में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।

 

 

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