किसानों के द्वारा गन्ना की बुवाई कई विधि के द्वारा किया जाता है। जिसके चलते किसानों को अच्छा मुनाफा मिले। बता दें कि किसान अपने कृषि यंत्रों के साथ-साथ अपनी सुविधा के अनुसार गन्ना की बुवाई करते हैं। बता दें की गन्ना की बुवाई सबसे अधिक रिंग पिट विधि, ट्रैंच विधि या फिर सामान्य विधि 28 इंच पर किया जाता है।
Petro Method in Sugarcane: लेकिन इसके अलावा भी किसान बहुत से गन्ना की पहले ही नर्सरी तैयार कर लेते हैं और उसके बाद खेत में बुवाई का कार्य करते हैं। जिसे गन्ना उत्पादन में अच्छा लाभ मिलता है। और यह एक सबसे अच्छी मौजूदा समय में पॉपुलर विधि में से एक है।
बता दें कि इस विधि को बहुत किसान अपना भी रहे हैं। वहीं आपको हम एक ऐसे ही गन्ना की बुवाई के लिए एक ओर विधि बताने जा रहे हैं। जिसे पेट्रो विधि कहा जाता है। अभी मौजूदा समय में बहुत से किसान इस बारे में नहीं जानते आप इस विधि के बारे में पूरी जानकारी इस रिपोर्ट के माध्यम से प्राप्त कर पाएंगे।
गन्ना में पेट्रो विधि से बिजाई कैसे करें (Petro Method in Sugarcane)
आज के इस बदलते हुए दौर में बहुत से ऐसे किसान हैं जिनके पास आधुनिक खेती तो करना चाहते हैं लेकिन कृषि यंत्र खरीद नहीं पाते जिससे उन्हें आधुनिक कृषि यंत्रों में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और ऐसे ही किसान गन्ना की ट्रेंच विधि के द्वारा भी अगर खेती करते हैं तो आधुनिक कृषि यंत्रों की आवश्यकता रहती है।
लेकिन बहुत से ऐसे किस जिनके पास यह कृषि यंत्र खरीदना आसान नहीं है उनके लिए हम आपको इस रिपोर्ट के द्वारा तरीका बताने जा रहे हैं जिनको पेट्रो विधि के नाम से पहचाना जाता है।
गन्ना की पेट्रो विधि में किसान के द्वारा अपने जमीन में 28 से लेकर 30 इंच तक के गहरी जुताई हल से 2 जोत बनाई जाती है।
Petro Method in Sugarcane: उसके बाद दो जोत (खुड) में बिजाई किया जाता है और उसके बाद एक छोड़ दिया जाता है जिसके चलते किसानों को सामान्य भी चाहिए वाले यंत्रों से ही आसानी से इस विधि से करना की बुवाई कर सकते हैं और यह किसानों के लिए काफी लाभदायक है।
पेट्रो विधि से गन्ना के लाभ
Petro Method in Sugarcane: गन्ना की इस विधि के चलते किसानों को गन्ने में मिट्टी चढ़ाने की आवश्यकता नहीं रहती। बता दें इसके बाद गन्ना कि बंधाई भी अच्छे से हो जाता है और आसान भी रहता है। बता दें कि इसमें कम खर्चे में अधिक दूरी में बिजाई कर सकते हैं। इसके साथ-साथ किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों की आवश्यकता नहीं रहती। बल्कि पुराने यंत्रों के द्वारा ही इस में बुवाई किया जासकता है। इसके अलावा किसानों के द्वारा इस विधि में गन्ना की दो जोत एक साथ किया जाता है। जिसके चलते अगर भूमि में कम गन्ना उगाव हो तो भी अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।
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